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कोरोना काल में लापरवाही करने वाले नपेंगे

मरीजों की जांच और इलाज को लेकर सदर अस्पताल प्रशासन गंभीर
बुधवार को नवजात की मौत मामले में डॉक्टर से मांगा गया स्पष्टीकरण 
भागलपुर, 18 जून
कोरोना काल में सदर अस्पताल में मरीजों की जांच और इलाज में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अस्पताल प्रशासन इसे लेकर गंभीर है। यही कारण है कि बुधवार को नवजात की मौत मामले में देर से पहुंचने के आरोप में संबंधित डॉक्टर से स्पष्टीकरण मांगा गया है। अगर जवाब संतोषजनक नहीं रहा तो संबंधित डॉक्टर पर कार्रवाई भी हो सकती है।
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. एके मंडल ने गुरुवार को कहा कि डॉ. कुंदन शर्मा की ऑन कॉल ड्यूटी थी। उन्हें जब जानकारी हुई तो उन्हें एसएनसीयू पहुंचकर नवजात का इलाज करना चाहिए था। प्रथम दृष्ट्या चिकित्सक की लापरवाही प्रतीत होती है। इस मामले में डॉ. कुंदन शर्मा से स्पष्टीकरण मांगा गया है। अगर जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया तो कार्रवाई होगी। मालूम हो कि बुधवार को सदर अस्पताल में एसएनसीयू में भर्ती के लिए ले जाये गये दो दिन के नवजात की इलाज में देरी से मौत का मामला सामने आया था। इस दौरान डॉक्टर को फोन किया गया, लेकिन वह डेढ़ घंटे बाद पहुंचे। नया बाजार निवासी 25 वर्षीय ममता देवी को प्रसव दर्द होने पर 15 जून को दोपहर बाद सदर अस्पताल के गायनी वार्ड में भर्ती कराया गया था। जहां उसी दिन शाम को ऑपरेशन के जरिये ममता देवी ने बच्चे को जन्म दिया था। 17 जून की अलसुबह करीब तीन बजे बच्चे की तबीयत अचानक गंभीर हो गयी तो ड्यूटी पर मौजूद नर्स ने डॉ. कुंदन शर्मा को फोन किया, जहां डॉक्टर ने नर्स को नवजात को एसएनसीयू में भर्ती कराने की सलाह दी। सुबह छह बजे दो दिन के नवजात बच्चे को लेकर परिजन एसएनसीयू गये, जहां पर नर्सों ने मायागंज अस्पताल ले जाने को कहा। जबकि बच्चे को डॉक्टर द्वारा रेफर नहीं किया गया था। मौके पर मौजूद ममता कार्यकर्ता रेणु ने डॉ. कुंदन शर्मा को फोन किया तो उन्होंने पेट दर्द की दवा देने का निर्देश एसएनसीयू की नर्स को दिया। परिजनों का आरोप है कि इसके बाद डॉक्टर को लगातार फोन किया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। साढ़े सात बजे जब डॉ. कुंदन शर्मा एसएनसीयू पहुंचे, तब तक नवजात की मौत हो चुकी थी।

बच्चों में दिखे ऐसे लक्षण तो ले जाएं अस्पताल
-अगर फीडिंग यानी दूध पीते वक्त आपके बच्चे की सांस फूलने लगती है तो ये चिंता की बात है। इसके लिए आपको तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। दूध पीते वक्त ध्यान दें, अगर बच्चे की सांसें तेज होने लगे है तो ये बात गंभीर हो सकती है।
- इस समय बच्चे के हांफने का कारण दिल की बीमारी हो सकती है। इसकी जांच करवाना जरूरी है।
- विशेषज्ञों की मानें तो दिल की बीमारी के 95-97 फीसदी लक्षण जन्म से ही दिखने लगते हैं। जबकि कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जिसके लक्षण उम्र के साथ दिखते हैं।
-इसी के साथ दूध पीते हुए बच्चे को ज्यादा पसीना आना, बार-बार निमोनिया होना, छाती में संक्रमण, कमजोरी, शरीर का रंग नीला होना भी दिल की बीमारी के संकेत हो सकते हैं।
-लक्षण दिखने के बाद बीमारी का पता लगाने के लिए इको टेस्ट किया जाता है।
-अगर बीमारी का सही समय पर पता लग जाए तो इसका इलाज संभव है।

रिपोर्टर

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