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दो बच्चे के बीच न्यूनतम तीन वर्ष का अन्तर रखने के लिए किया ऐसा : संजू कुमारी
- संजू के पति और सास से ली गयी सहमति, मुँगेर सदर अस्पताल की अच्छी पहल
मुंगेर-
दो बच्चों के बीच कम से कम तीन वर्ष के अंतराल के लिए मैंने लगवाया है प्रसव पश्चात कॉपर टी। यह बात सदर अस्पताल, मुंगेर में सुरक्षित संस्थागत प्रसव के बाद परिवार नियोजन के अस्थाई साधन के रूप में कॉपर टी लगवाने वाली शुतुरखाना के रहने वाले सोनू कुमार की 23 वर्षीय पत्नी संजू कुमारी ने बताई। उन्होंने बताया कि मेरे पति सोनू कुमार टोटो ड्राइवर का काम कर घर चलाते हैं। मेरी पहले से ही दो साल की एक बेटी है। बुधवार की सुबह लगभग साढ़े तीन बजे मैंने पुनः एक और लड़की को जन्म दिया है। पहली बेटी के जन्म के समय ही यहां कि आशा गंगोत्री देवी ने बच्चों में अंतर रखने के लिए परिवार नियोजन का अस्थाई साधन अपनाने कि सलाह दी थी लेकिन इस पर ध्यान नहीं दे पाने के कारण मैं पुनः दो साल में मां बन गई हूं। बुधवार को दूसरी बेटी के जन्म के बाद सदर अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर और नर्स सहित अन्य अधिकारियों ने प्रसव पश्चात कॉपर टी लगवाने कि सलाह दी। उनलोगों ने बताया कि आप जब कभी भी कॉपर टी को निकलवा सकती हैं। इससे किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है। कॉपर टी लगवाने के बाद मुझे किसी तरह की कोई परेशानी महसूस नहीं हो रही है।
संजू कुमारी कि सास सीता देवी ने बताया कि पहले कॉपर टी के बारे में सही तरीके से जानकारी नहीं होने के कारण आज मेरी बहू दो साल के अंदर दुबारा मां बन गई है। बुधवार को डेलीवरी के बाद जब मुझे बताया गया कि दो बच्चों में अंतर रखने के लिए सबसे सुरक्षित और कारगर तरीका प्रसव पश्चात कॉपर टी लगवाना है और इसको कभी भी निकलवाया जा सकता है तो मैंने तुरंत कॉपर टी लगवाने की इजाजत दे दी। संजू कुमारी के पति और टोटो ड्राइवर का काम करने वाले सोनू कुमार ने बताया कि सदर अस्पताल में मेरी पत्नी को परिवार नियोजन के अस्थाई साधन के रूप में कॉपर टी लगवाने से पहले मेरी और मेरी मां की पूरी सहमति ली गई थी। इसके बाद ही कॉपर टी लगवाया गया।
परिवार नियोजन का कारगर और सुरक्षित साधन है कॉपर टी : सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉक्टर विनोद कुमार सिन्हा ने बताया कि मातृ और शिशु मृत्यु को कम से कमतर करने और बच्चों में तीन साल का अंतर रखने के लिए परिवार नियोजन के अस्थाई साधन के रूप में कॉपर टी (आईयूसीडी) सबसे कारगर और सुरक्षित है। इसको लेकर किसी तरह कि भ्रांति पर ध्यान देने कि आवश्यकता नहीं है। यह दो प्रकार का होता है सीयूटी 375; इसे लगवाने के बाद महिलाएं कम से कम पांच वर्षों के लिए गर्भ धारण से मुक्त रह सकती हैं। इसी तरह सीयूटी 380; इसे लगवाने के बाद महिलाएं 10 वर्षों तक गर्भधारण से मुक्त रह सकती हैं। कॉपर टी लगवाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि महिलाएं जब भी गर्भ धारण करना चाहें या किसी अन्य कारण से कॉपर टी को बाहर निकलवाना चाहती हैं तो कभी भी इसे बाहर निकलवा सकती हैं। उन्होंने बताया कि हमलोग संस्थागत प्रसव के बाद सभी लाभार्थी को परिवार नियोजन के स्थाई और अस्थाई साधन अपनाने के लिए जागरूक करते हैं ताकि जनसंख्या स्थिरीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहूलियत हो। इस दौरान लाभार्थी या उनके साथ मौजूद परिवार के सदस्यों की पूर्ण सहमति के बाद ही बंध्याकरण या कॉपर टी लगाया जाता है। उन्होंने बताया कि लेबर रूम में कार्यरत डॉक्टर, जीएनएम, फैमिली प्लानिंग काउंसलर सहित अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के द्वारा नियमित रूप से लाभार्थी को परिवार नियोजन के स्थाई और अस्थाई साधन को अपनाने के लिए जागरूक किया जाता है। इस कार्य में स्वास्थ्य विभाग की सहयोगी संस्था पीएसआई इंडिया के प्रतिनिधियों के द्वारा लगातार स्वास्थ्य कर्मियों का उन्मुखीकरण और सहयोग किया जा रहा है।
रिपोर्टर
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Aishwarya Sinha