मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन को सफल बनाने हेतु 24 जिलों के जिला स्तरीय प्रशिक्षकों का एम.डी.ए. कार्यक्रम पर प्रशिक्षण संपन्न ।
पटना -
बिहार सरकार, लिम्फेटिक फाइलेरिया (हाथीपांव) के उन्मूलन हेतु पूरी तरह प्रतिबद्ध है । इसी के फलस्वरूप राज्य सरकार द्वारा राज्य के 24 फाइलेरिया प्रभावित जिलों (बांका, बेगुसराय, भागलपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, जहानाबाद, जमुई, कटिहार, खगरिया, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, सहरसा, सारण, सीतामढ़ी, सिवान, सुपौल, अरवल, गया, औरंगाबाद, शिवहर, वैशाली और शेखुपुरा) में फाइलेरिया रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत आगामी 10 फरवरी से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम प्रारंभ किया जा रहा है । इस कार्यक्रम के सफल किर्यन्वयन के लिए आज दिनांक 12 दिसम्बर , 2023 को डॉ. परमेश्वर प्रसाद, अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, फाइलेरिया, बिहार की अध्यक्षता में उपरोक्त 24 जिलों के भी.बी.डी. पदाधिकारियों, जिला भी.बी.डी. सलाहकारों, मलेरिया निरीक्षकों एवं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण के दौरान डॉ. परमेश्वर प्रसाद ने कहा कि कार्यक्रम के दौरान फाइलेरिया से मुक्ति के लिए 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को छोड़कर सभी पात्र लाभार्थियों को फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा ही कराया जाना सुनिश्चित करें । साथ ही, समाज के लोगों को भी इस कार्यक्रम में ज़िम्मेदारी निभाने के लिए प्रेरित कीजिये क्योंकि किसी भी कार्यक्रम की सफलता के लिए सामुदायिक सहभागिता बहुत आवश्यक होती है । उन्होंने उपस्थित प्रतिभागियों से कहा कि एमडीए के दौरान, क्षेत्रीय गतिविधियों पर बहुत ध्यान देना है, ताकि अगर कहीं भी किसी प्रकार का अवरोध हो तो उसे तुरंत समाप्त किया जाये । डॉ. परमेश्वर प्रसाद ने कहा कि फाइलेरिया के समूल उन्मूलन के लिए हमें एक योद्धा की तरह कार्य करने की आवश्यकता है ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एनटीडी स्टेट कोऑर्डिनेटर डॉ. राजेश पांडेय ने मॉनिटरिंग डाटा के आधार पर पूर्व में आयोजित एमडीए राउंड के दौरान जिलों की उपलब्धियों पर जानकारी डी । उन्होंने यह भी बताया कि फाइलेरिया एक गंभीर रोग है जिससे विश्व के 47 देशो के लगभग 863 मिलीयन आबादी को खतरा है । संक्रमित मच्छर के काटने से किसी भी आयु वर्ग में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे; हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। डॉ. पांडेय ने बताया कि वर्तमान में राज्य में लिम्फेडेमा (अंगों में सूजन) के लगभग 1.54 लाख मरीज़ हैं और हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन) के लगभग 21,300 मरीज़ हैं । उन्होंने बताया कि केवल एमडीए के सफल किर्यन्वयन से ही फाइलेरिया की रोकथाम एवं उन्मूलन संभव है । डॉ. पांडेय ने जानकरी डी कि प्रत्येक एमडीए राउंड से पहले प्रभावित जिलों में नाईट ब्लड सर्वे आयोजित किया जाता है ताकि उन जिलों में माइक्रो फाइलेरिया दर का पता चल सके और उसी के अनुसार रणनीति बनाकर कार्य किया जाये ।
कार्यक्रम के बढ़ते क्रम में पीरामल फाउंडेशन के बिकास सिन्हा ने बताया कि उनकी टीम एमडीए को सफल बनाने हेतु सभी संभव प्रयास करती है और कार्यक्रम पश्चात प्रतिदिन होने वाली मोनिटरिंग और समीक्षा के दौरान क्षेत्र में पाई गयी चुनौतियों के बारे में चर्चा करती है ताकि अनुभव की गयी समस्याओं का तुरंत निदान किया जा सके ।
इस अवसर पर ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के प्रतिनिधि अनुज घोष ने बताया कि उनकी संस्था राज्य स्तर पर मीडिया कार्यशला का आयोजन करके और समय-समय पर राज्य स्तरीय सहयोगियों से समन्वय बनाकर फीचर आर्टिकल, फील्ड स्टोरी या इंटरव्यू द्वारा कार्यक्रम के बारे में लोगों को जागरूक करने का प्रयास करती है और साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से जन-मानस में लोकप्रिय और प्रसिद्ध राजनीतिक, सामाजिक और स्थानीय व्यक्तियों/चैंपियन के फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के ऑडियो-वीडियो संदेशों को प्रत्येक स्तर तक पहुँचती है ।
प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल के रनपाल सिंह ने बताया कि उनकी टीम द्वारा कार्यक्रम के पहले और उसके दौरान सोशल मोबिलाइजेशन गतिविधियों के माध्यम से लोगों को एमडीए के दौरान फाइलेरिया दवाएं खाने के लिए लाभार्थियों को प्रेरित किया जाता है ।
सीफार संस्था के प्रतिनिधि रणविजय ने बताया कि सीफार, जिला स्तरीय मीडिया वर्कशॉप आयोजित करवाने में सहयोग देता है और कार्यक्रम से सम्बंधित जानकारी को मीडिया के माध्यम से गाँव की अंतिम आबादी तक पहुंचाता है ।
प्रशिक्षण में उपरोक्त 24 जिलों के भी.बी.डी. पदाधिकारी , जिला भी.बी.डी. सलाहकार , मलेरिया निरीक्षक एवं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के साथ ही बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, विश्व स्वास्थ्य संगठन, पीरामल फाउंडेशन, प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल, सीफार, लेप्रा सोसाइटी और ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के प्रतिनिधियों ने भी सक्रिय प्रतिभाग किया ।
रिपोर्टर
Aishwarya Sinha
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
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