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राष्ट्रीय पोषण माह: कुपोषण की चुनौती से निपटने में मिल रही मदद 

 
भोजन के प्रति व्यवहार परिवर्तन में पोषण अभियान कारगर
 
एनीमिया कुपोषण का प्रमुख कारण, मोटे अनाज के इस्तेमाल पर बल
 
पटना-
 
राज्य में सितंबर माह राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है. राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन कर पोषण के प्रति आमलोगों में जागरूकता लायी जा रही है. पोषण माह का थीम सुपोषित भारत, साक्षर भारत, सशक्त भारत रखा गया है. जिसके तहत पोषण माह की गतिविधि मानव जीवनचक्र के प्रमुख चरणों गर्भावस्था, शैशवास्था, बचपन और किशोरवस्था के बारे में जागरूकता तथा उनका पोषण आधारित संवेदीकरण केंद्रित है.
 
आइसीडीएस निदेशक कौशल किशोर ने बताया कि पोषण अभियान भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है. पोषण अभियान गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं, किशोर लड़कियों और 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए काफी मददगार साबित हो रहा है. इस अभियान की मदद से कुपोषण की चुनौती से निपटने में मदद मिल रही है. भोजन के प्रति नजरिए और व्यवहार परिवर्तन को लेकर पोषण अभियान कारगर सिद्ध हो रहा है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा इस वर्ष के सितंबर माह छठा राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है.  कुपोषण को दूर करने की मुहिम के साथ पोषण संबंधी समझ को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है. कुपोषण मुक्त भारत के लिए पोषण अभियान के बेहतरीन प्रयोग और नई संभावनाओं को विकसित किया जा रहा है.
 
एनीमिया कुपोषण का प्रमुख कारण:
पोषण अभियान की जरूरत एनीमिया जैसे गंभीर समस्या को देखते हुए की गयी है. एनीमिया कुपोषण का एक प्रमुख कारण है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 15 से 49 वर्ष आयुवर्ग की 63.5 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया पीड़ित हैं. वहीं 15 से 19 वर्ष 66 प्रतिशत किशोरियां एनीमिया से ग्रसित हैं. रिपोर्ट के मुताबिक छह माह से 59 माह के 69 प्रतिशत बच्चे एनीमिया पीड़ित होते हैं.
 
कुपोषण दूर करने में श्री अन्न महत्वपूर्ण:
पोषण अभियान के दौरान श्री अन्न यानी मोटे अनाज के इस्तेमाल पर भी जोर दिया जा रहा है. इसके अंतर्गत आठ तरह की फसल शामिल की जाती है. इसमें बाजरा, ज्वार, रागी, चीना,सावां,कंगनी, कोदो और कुटकी आदि को शामिल किया जाता है. इनके पोषक तत्व गंभीर बीमारियों और संक्रमण से दूर रखने में मददगार हैं. श्री अन्न रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनता है. इसमें प्रोटीन और फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो शरीर को काफी उर्जा देता है. बीमारियों से लड़ने में उपयोगी होने के कारण इसे किशो​र बालिका, गर्भवती, धात्री माताओं और छह साल से कम उम्र के बच्चों के खानपान में शामिल करने की सलाह दी जाती है.

रिपोर्टर

  • Aishwarya Sinha
    Aishwarya Sinha

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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