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स्वास्थ्यकर्मियों ने कुष्ठ निवारण का लिया संकल्प

-सिविल सर्जन ने गांधी जी का संदेश सुनाकर सभी को कुष्ठ जागरूकता के लिए किया प्रोत्साहित

-शहर के गांधी चौक स्थित पुराना सदर अस्पताल कैंपस में कार्यक्रम का आयोजन


बांका-

 शहर के गांधी चौक स्थित पुराना सदर अस्पताल कैंपस में सोमवार को सिविल सर्जन डॉ. रविन्द्र नारायण की अध्यक्षता में सभी जिला स्तरीय कार्यालय के पदाधिकारी एवं कर्मियों ने कुष्ठ निवारण के लिए संकल्प लिया। मौके पर सिविल सर्जन ने गांधी जी के संदेश को सुनाकर सभी को कुष्ठ जागरूकता के लिए प्रोत्साहित किया। मौके पर अचिकित्सा सहायक मृत्युंजय कुमार सिंह, वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी आरिफ इकबाल, आयुष्मान भारत के जिला समन्वयक पवन कुमार, स्वच्छता निरीक्षक राणा जी कुमार, राजेश कुमार, गणेश चौधरी, पम्मी कुमारी एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद थे। सिविल सर्जन डॉ. रविंद्र नारायण ने कहा कि कुष्ठ जैसी बीमारी के लिए समाज के लोगों को आगे आना होगा। घर-परिवार या समाज में यदि कुष्ठ के रोगी मिले तो लोगों को उसे इलाज के लिए नजदीकी  सरकारी अस्पताल लेकर जाना चाहिए, न कि उससे दूरी बनाकर उसका बहिष्कार करना चाहिए। समाज के लोग अगर जागरूक होंगे और अपना योगदान देंगे तो इस बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सकेगा। बाकी सरकार की ओर से इसके इलाज की पूरी व्यवस्था है।

09 माह तक दवा का सेवन जरूरीः सिविल सर्जन ने बताया कि इसमें कुष्ठ के दो तरह के मरीज मिलने की संभावना रहती है। पहला पीबी यानी जिस मरीजों को एक से दो जगहों पर बीमारी की विकृति है। उन्हें 06 माह और दूसरा एमबी यानी जिन्हें दो से अधिक जगहों पर बीमारी की विकृति है। उन्हें 09 माह तक दवाई का सेवन करना जरूरी है। तभी बीमारी को पूर्ण रूप से समाप्त किया जाता है। वहीं, उन्होंने बताया कि सामान्य मरीजों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) स्तर पर समुचित इलाज की सुविधा उपलब्ध है। जबकि, गंभीर मरीजों को जिला स्तरीय अस्पताल इलाज के लिए भेजा जाता है।  

सरकारी अस्पतालों  में इलाज की सुविधा उपलब्धः सिविल सर्जन ने बताया कि पिछले दिनों कुष्ठ को लेकर अभियान चलाया गया था। अभियान के दौरान जो भी लक्षण वाले  मरीज मिले उसका इलाज पीएचसी स्तर पर किया गया। साथ ही जो गंभीर मरीज मिले उसका इलाज जिला स्तर पर किया गया। अभी भी कई लोगों का इलाज चल रहा है। उन्होंने बताया कि अभियान अभी भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन इलाज की व्यवस्था अभी भी मौजूद है। इसलिए अगर कोई मरीज मिलता है तो उसे तत्काल सरकारी अस्पताल लेकर जाएं। कुष्ठ के सामान्य मरीजों के लिए जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में समुचित जांच और इलाज की सुविधा उपलब्ध है।  

लंबे समय तक साथ रहने से कुष्ठ फैलने का रहता है डरः सिविल सर्जन ने बताया कि कुष्ठ जीवाणु से होने वाला एक रोग है, जो नस और त्वचा दोनों को प्रभावित करता है। यदि समय पर इलाज नहीं किया जाए और लंबे समय तक साथ रहने पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने की प्रबल संभावना रहती  और विकलांगता भी हो सकती है। यह रोग किसी भी व्यक्ति, किसी उम्र की महिला-पुरुष को प्रभावित कर सकता है। सही समय पर रोग की पहचान एवं उपचार प्रदान कर रोग को पूर्ण रूप से समाप्त किया जा सकता है।

सिविल सर्जन द्वारा बताया गया कि  31 जनवरी से 13 फरवरी तक कुष्ठ पखवाड़ा मनाया जाएगा।  जिसमें  प्रत्येक ग्राम  में आशा के माध्यम से आंगनबाड़ी एवं विद्यालय के शिक्षकों के सहयोग से ग्राम सभा के माध्यम से जन जागरुकता फैलायी  जाएगी ।

रिपोर्टर

  • Swapnil Mhaske
    Swapnil Mhaske

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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