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थैलेसीमिया से बचाव के लिए माता-पिता का जागरूक होना जरूरी


-गर्भधारण के वक्त ही जांच कराने से इस बीमारी से हो सकता है बचाव 

-माता-पिता किसी एक की जीन में भी गड़बड़ी से हो सकती है यह बीमारी


बांका, 17 जनवरी-


 थैलेसीमिया एक जैनेटिक रोग है, जो बच्चों को माता-पिता से मिलता है। इस रोग के होने से शरीर में हीमोग्लोबिन बनने की प्रक्रिया में गड़बड़ी आ जाती है। यह बीमारी विशेषकर बच्चों में होती  और पर्याप्त इलाज नहीं मिलने पर उसकी मौत भी हो जाती है। थैलेसीमिया से बचाव के लिए बड़े पैमाने पर जनजागरूकता की जरूरत है। माता-पिता के जागरूक होने से थैलेसीमिया से बचा जा सकता है। गर्भधारण के वक्त ही जांच कराने से इससे बचाव हो सकता है। शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. सुनील कुमार चौधरी ने बताया कि थैलेसीमिया आनुवांशिक रोग है। माता-पिता दोनों में से किसी एक की जीन की गड़बड़ी होने के कारण यह रोग होता है। ये जीन्स हीमोग्लोबिन बनने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। इस बीमारी में लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन नामक एक प्रोटीन नहीं बनता है। ये लाल रक्त कोशिकाएं शरीर की सभी कोशिकाओं तक ऑक्सीजन ले जाने का काम करती हैं। खून में पर्याप्त स्वस्थ्य लाल रक्त कोशिकाएं नहीं होने के कारण शरीर के अन्य सभी हिस्सों में पर्याप्त ऑक्सीजन भी नहीं पहुंच पाता है। इससे पीड़ित बहुत जल्द थक जाता है। उसे सांस की कमी महसूस होती है। थैलेसीमिया के कारण गंभीर एनीमिया से व्यक्ति की मृत्यु तक हो जाती है।


देश में प्रत्येक वर्ष 10 हजार थैलेसीमिया ग्रस्त बच्चे लेते हैं जन्म: थैलेसीमिया एक गंभीर रोग है जो वंशानुगत बीमारियों की सूची में शामिल है। इससे शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है जो हीमोग्लोबिन के दोनों चेन (अल्फा और बीटा) के कम बनने के कारण होता है। अभी भारत में लगभग एक लाख थैलेसीमिया मेजर के मरीज हैं और प्रत्येक वर्ष लगभग 10,000 थैलेसीमिया से ग्रस्त बच्चे का जन्म होता है। बिहार की बात करें तो लगभग 2000 थैलेसीमिया मेजर से ग्रस्त मरीज हैं जो नियमित ब्लड ट्रांसफयूजन पर हैं। उन्हें उचित समय पर उचित खून न मिलने एवं ब्लड ट्रांसफयूजन से शरीर में होने वाले आयरन ओवरलोड से परेशानी रहती और इस बीमारी के निदान के लिए होने वाले बोन मैरो ट्रांसप्लांट (बीएमटी) के महंगे होने के कारण इसका लाभ नहीं ऊठा पाते हैं। इसलिए खून संबंधित किसी भी तरह की समस्या पति, पत्नी या रिश्तेदार में कहीं हो तो सावधानी के तौर पर शिशु जन्म के पहले थैलेसीमिया की जांच जरूर करायें।


फैमिली के लिए योजना बना रहे हैं तो पति-पत्नी रक्त जांच करवाएं: अमूमन लोगों को पता नहीं होता है कि उन्हें माइनर थैलेसीमिया है। चूंकि थैलेसीमिया आनुवांशिक रोग है, इसलिए विवाहित दंपतियों को इस बात का ख्याल रखना होगा। यदि फैमिली के लिए प्लानिंग कर रहे हैं तो एक बार रक्त की जांच करा लेना बेहद जरूरी है। यदि पति या पत्नी दोनों में से किसी को भी थैलेसीमिया है तो डॉक्टर से बात कर परिवार बढ़ाने की योजना की जानी चाहिए।

रिपोर्टर

  • Swapnil Mhaske
    Swapnil Mhaske

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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