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: नाइट ब्लड सर्वे रिपोर्ट आने के बाद जिलाभर के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को दिया गया टीओटी प्रशिक्षण
: प्रशिक्षण कार्यशाला में 14 दिनों तक चलने वाले एमडीए कार्यक्रम के माइक्रोप्लान पर विस्तृत चर्चा
मुंगेर, 28 नवंबर। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत विगत 18 अक्टूबर से 18 नवंबर तक जिला के सभी प्रखंडों के रैंडम और सेंटिनल साइट पर चले नाइट ब्लड सर्वे रिपोर्ट आने के बाद सोमवार को सदर अस्पताल परिसर स्थित क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक इकाई (आरपीएमयू) सभागार में जिला के सभी प्रखंडों से प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के बीच ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर्स (टीओटी) आयोजित किया गया। इस दौरान प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला के सिविल सर्जन डॉ पीएम सहाय ने की। इस अवसर पर अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी (एसीएमओ) डॉ आनंद शंकर शरण सिंह, डिस्ट्रिक्ट वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल ऑफिसर डॉ अरविंद कुमार सिंह, डीपीएम नसीम रजी, वेक्टर डिजीज कंट्रोल ऑफिसर संजय कुमार विश्वकर्मा, डिस्ट्रिक्ट वेक्टर बोर्न डिजीज कंसल्टेंट पंकज कुमार प्रणव, डब्लूएचओ के जोनल कॉर्डिनेटर डॉ एस. एजीलारसर, पीसीआई के डिस्ट्रिक्ट कॉर्डिनेटर मिथिलेश कुमार, एसएमसी राकेश कुमार, केयर इंडिया के अमरेश कुमार और नटराज कुमार सहित जिला भर से आए प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी (एमओआईसी ), हॉस्पिटल मैनेजर, ब्लॉक हेल्थ मैनेजर, ब्लॉक कम्युनिटी मोबिलाइजर(बीसीएम) सहित जिला फाइलेरिया कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।
प्रशिक्षण कार्यक्रम कि अध्यक्षता करते हुए सिविल सर्जन डॉ पीएम सहाय ने बताया कि राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिला भर के विभिन्न प्रखंडों में बनाए गए रैंडम और सेंटिनल साइट पर पिछले 18 अक्टूबर से 18 नवंबर के दौरान लिए गए नाइट ब्लड सर्वे का रिपोर्ट आ गया है। जिसके अनुसार जिला भर में कुल 6032 लोगों का नाइट ब्लड सैंपल लिया गया जिसमें से कुल 155 लोगों में माइक्रो फाइलेरिया पाया गया है। जिला का माइक्रो फाइलेरिया रेट 2.5% है। इसी रिपोर्ट के अनुसार जिला भर सर्वजन दवा सेवन या मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कार्यक्रम चलाने का निर्णय हुआ है। आगामी 22 दिसंबर से 14 दिनों तक जिला भर के सभी प्रखंडों में एमडीए कार्यक्रम चलाए जाने की पूरी संभावना है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डिस्ट्रिक्ट वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल ऑफिसर डॉ अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि फाइलेरिया का मोर्टिलिटी रेट हालांकि कम है लेकिन इससे होने वाली परेशानी से जीवन दूभर हो जाता है। हाथीपांव (एलिफेंटाइसिस) और हाइड्रोसील की परेशानी से लोगों का जीवन कठिन हो जाता है। जिला भर से आए प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मियों से उन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में पूरा सहयोग देने की अपील की । उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम को हल्के में न लें क्योंकि अभी भारत सरकार और राज्य सरकार दोनों का फॉक्स फाइलेरिया के उन्मूलन पर है इसके लिए हम सभी लोगों को अपनी पूरी क्षमता के साथ कार्य करते हुए कार्यक्रम को सफल बनाना है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षण देते हुए डब्ल्यूएचओ के जोनल कॉर्डिनेटर डॉ एस. एजीलरसर ने बताया कि 14 दिनों तक चलने वाले एमडीए कार्यक्रम के लिए एक निश्चित माइक्रो प्लान के अनुसार करना है। जिसमें डोर टू डोर विजिट करने के लिए आशा कार्यकर्ता, जीविका दीदी था आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को दो वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को डीईसी और अल्बेंडाजोल की दवा खिलाने के साथ- साथ लाइन लिस्टिंग फैमिली रजिस्टर में अपडेट करने और एडवर्स ड्रग रिएक्शन ( एडीआर) के बारे में तकनीकी रूप से प्रशिक्षित किया जाना है। उन्होंने बताया कि दो वर्ष से कम आयु के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार लोगों को फाइलेरिया की दवा नहीं दी जानी है। उन्होंने बताया कि आशा फैसिलिटेटर सहित अन्य अधिकारियों के द्वारा मानिटरिंग का कार्य किया जायेगा। 14 दिनों तक चलने वाले एमडीए कार्यक्रम के पहले छह दिनों तक लोगों को फाइलेरिया की दवा खिलाने के बाद सातवें दिन छूटे हुए लोगों को दवा खिलाई जायेगी। इसी तरह 8 से 13 वें दिन तक लोगों को दवा खिलाने के बाद पुनः 14 वें दिन छूटे हुए लोगों को फाइलेरिया की दवा खिलाई जाएगी।
रिपोर्टर
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Dr. Rajesh Kumar